आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ध्यान दें intoday.in Apr 27, 2018 12:07 PM

सुप्रीम कोर्ट में आधार पर अंतिम सुनवाई इस साल 17 जनवरी से शुरू हुई थी. चीफ जस्ट‍िस (CJI) दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. आधार के बारे में सभी याचिकाओं को पांच साल पहले रिटायर्ड जस्ट‍िस के.एस. पुट्टस्वामी द्वारा पहली बार आधार को चुनौती देने वाली याचिका के साथ जोड़ दिया गया है.


इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, पिछले साल अगस्त में तत्कालीन चीफ जस्ट‍िस जे.एस. खेहर की अगुवाई वाली नौ जजों की संविधान पीठ ने यह आदेश दिया था कि निजता हमारे संविधान के तहत मिलने वाला बुनियादी अधिकार है. इसके बाद ही Aadhaar पर अंतिम सुनवाई शुरू हई. अंतिम सुनवाई के बाद इस बारे में हुए प्रमुख घटनाक्रम इस प्रकार हैं-

फेस आईडी

सुप्रीम कोर्ट में एक प्रजेंटेशन में यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कहा कि वह 1 जुलाई, 2018 से आधार यूजर्स के वेरिफिकेशन के लिए पुतलियों या फिंगरप्रिंट स्कैन के साथ ही फेस ऑथेन्ट‍िकेशन (चेहरे के पहचान) की व्यवस्था शुरू करेगा.

आधार की सुरक्षा

सरकार ने दावा किया कि आधार के एनक्रिप्शन सिस्टम को तोड़ने में धरती के सबसे तेज कंप्यूटर को भी इस ब्रह्मांड की उम्र से भी ज्यादा समय लग जाएगा. यह कहा गया कि आधार डेटा एक ऐसे परिसर में सुरक्षित है जो 13 फुट ऊंची और 5 फुट मोटी दीवार के पीछे है.

खराब तरीके से बना कानून

सुप्रीम कोर्ट आधार एक्ट की एक धारा को 'खराब तरीके से बनाया कानून' बताया. इस धारा के द्वारा कानून बनने से पहले के भी सभी बायोमीट्रिक नामांन को वैध करार दे दिया गया. एक्ट की धारा 59 में इस तरह की सहमति दी गई थी.

आधार को मोबाइल नंबर से जोड़ने के बारे में कोई निर्देश नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि उसने आधार से मोबाइल नंबर को जोड़ना अनिवार्य बनाने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने उसके 6 फरवरी, 2017 के राय की गलत व्याख्या की और जोर देकर कहा है कि 'लोकनीति फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिम को यूआईडी से जोड़ने का कोई निर्देश नहीं दिया है.' सरकार ने सर्कुलर जारी कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का ऐसा निर्देश है.

आधार को मोबाइल नंबर से लिंक करने की समय-सीमा बढ़ाई गई

सरकार ने कल्याणकारी और सब्सिडी वाली योजनाओं को आधार से लिंक करने की डेडलाइलन बढा़कर 31 मार्च से 30 जून कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च से आगे इसे बढ़ाने से मना कर दिया था. सरकार ने आधार कार्ड को पैन से जोड़ने की समय-सीमा भी 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून कर दी.

वैकल्पिक आईडी

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आधार न होने की वजह से किसी को भी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के फायदे देने से इंकार नहीं किया जा रहा है और किसी के पास आधार कार्ड नहीं है तो वह ऐसी सेवाओं का लाभ लेने के लिए वैल्पिक पहचान पत्र जैसे वोटर आईडी, राशन कार्ड का इस्तेमाल कर सकता है.

आधार यूजर के डेटा से यूजर प्रोफाइलिंग संभव नहीं

UIDAI के एक विश्लेषण में कहा गया कि आधार डेटा से किसी यूजर की प्रोफाइलिंग तैयार करना लभगभ असंभव है. UIDAI का कहना है कि इसमें यूजर की बहुत कम जानकारी होती है और इससे ज्यादा जानकारी तो क्रेडिट कार्ड कंपनियों के पास होती है.

आधार से नहीं रुक सकता बैंक फ्रॉड

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई कि वह आधार को हर मर्ज की बीमारी बता रही है. आधार से बैंकों में जालसाजी न रुकने की बात करते हुए पांच जजों की खंडपीठ ने कहा, 'यह बैंक जानते हैं कि किसे लोन दे रहे हैं और जालसाजों के साथ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत होती है. आधार इसे रोकने में बहुत कम मदद कर सकता है.

आधार से बाहर निकलने का विकल्प नहीं

UIDAI ने कहा कि जिन बच्चों का आधार कार्ड बन चुका है, वे बड़े होकर आधार योजना से बाहर नहीं जा सकते. उसने कहा कि 5 से 15 साल के बच्चों का आधार बनवाने के लिए स्कूलों को उनके पेरेंट्स की रजामंदी से कोशिश करनी होगी.

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